कविताएँ मानवीय संवेदनाओं को प्रकट करने का सबसे सरल साधन हैं । डा रश्मि जैन द्वारा रचित काव्य संग्रह अल्फाज़ की एक- एक रचना ने मुझे भीतर तक झकझोर कर रख दिया। उनकी विभिन्न पंक्तियाँ ऐसी प्रतीत हुई की मानो मुझसे ही बातें कर रही हों, वो भी अनगिनत। अपनी रचना में कवयित्री ने रिश्तों, एहसासों, इश्क़, वफ़ा, बचपन, ख्वाहिश, सफ़र और ना जाने ऐसे कितने ही विभिन्न विषयों का ताना बाना बेहद ही खूबसूरती से सन्जोया है। कहीं स्त्री की परिपक्व्ता पर अपने शब्दों से हृदय भेदी तीर चलाए हैं तो कहीं बदलाव की पहल हो, इस पर भी ज़ोर दिया है।
डा रश्मि की कविताएँ बदलाव, संभावना और उम्मीद जैसी भावनाओं से परिपूर्ण हैं । इस कविता-संग्रह में भावों को बहुत ही बखूबी से शब्दों में पिरोया गया है। प्रत्येक कविता का सौंदर्य अप्रतिम है, किंतु कुछ कविताओं का वर्णन इतना मनमोहक है की वो पाठक को सम्मोहित करती हैं । शब्दों का चयन,भाषा बल्कि इस पुस्तक की हर एक बात, हर कविता भाव- विभोर करती है।
इस काव्य संग्रह ने मुंशी प्रेमचंद, सुभद्रा कुमारी जैसे हस्तियों की याद दिला दी। मानवीय भावनाओं का इतना बेहतरीन संकलन बहुत ही कम काव्य पुस्तकों में देखने को मिलता है। समाज में प्रचलित हर पहलु, भविष्य एवं वर्तमान का विस्तृत रूप अल्फ़ाज़ में हर एक कविता से बेहद ही मनोहारी है।
बदलने में क्या बुराई है?
कुछ तेरी कुछ मेरी
आबोहवा को दुरुस्त कर दे जो
उसे बदलने में क्या बुराई है?
इन पंकतियों ने मेरे मानस पटल पर एक अमिट छाप छोड़ी है। यही नहीं दूसरी सभी कविताएं भी साधारण से तनिक हटकर हैं और यह पुस्तक हर मायने में खरी उतरती है। मेरा सभी से यह आग्रह है की अल्फाज़ को एक बार अवश्य पढ़ें, बेशक ही एक अलग प्रकार के आमोद का आभास होगा। मैं इसे 5/5 की रेटिंग देना चाहूंगी ।
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